कम्प्यूटर का इतिहास – History of Computer in Hindi
आधुनिक
कम्प्यूटर इतिहास की देन हैं. जिसकी शुरुआत ईसा पूर्व ही हो चुकी थी. जब चीनियों
ने अबेकस का आविष्कार किया. इसके बाद विभिन्न प्रकार के स्वचालित मशीने अस्तित्व
में आई. और चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया गया स्वाचालित इंजन आज के कम्प्यूटर का
आधार बना.
कम्प्यूटर
का इतिहास कुछ इसी तरह के उतार-चढावों से भरा हुआ है. जिसके बारे में संक्षेप में
नीचे बताया गया हैं.
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Abacus दुनिया का पहला गणना यंत्र था जिसके
द्वारा सामान्य गणना (जोडना, घटाना) की जा सकती थी.
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अबेकस का आविष्कार लगभग 2500 वर्ष
पूर्व (इसका सही-सही समय ज्ञात नहीं हैं) चीनीयों द्वारा किया गया.
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यह यंत्र 17वीं शताब्दी
तक गनना करने का एक मात्र उपकरण बना रहा.
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1017 में John Napier ने अपनी
किताब “Rabdology” में अपने गणितीय उपकरण का जिक्र किया. जिसका नाम “Napier’s Bones” था. इस
डिवाइस का उपयोग उत्पादों की गणना तथा भागफल ज्ञात करने के लिए किया जाता था. इस
डिवाइस में गणना करने के लिए इस्तेमाल होने वाली विधि को ‘रेब्दोलॉजी’ कहा जाता
था.
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इस डिवाइस द्वारा जोडना, घटाना, गुणा, भाग भी
किये जा सकते थे.
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John Napier के आविष्कार के कुछ साल बाद (1620 के आसपास)
ही माननीय William Oughtred ने “Slide Rule” का
आविष्कार कर लिया.
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इसके द्वारा गुणा, भाग, वर्गमूल, त्रिकोणमीतिय
जैसी गणनाएं की जा सकती थी. मगर जोड तथा घटाव के लिए कम इस्तेमाल किया हुआ.
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1642 में माथ 18 वर्ष की
अल्पायु में फ्रेंच वैज्ञानिक और दार्शनिक ने पहला व्यवहरिक यांत्रिक कैलकुलेटर
बनाया.
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इस कैलकुलेटर का नाम “पास्कालिन” था.
जिसके द्वारा गणना की जा सकति थी.
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फिर 1671 में
पास्कालिन में सुधार करते हुए एक एडवांस मशीन ‘Step Reckoner’ का
आविष्कार हुआ. जो जोडने, घटाने के अलावा गुणा, भाग, वर्गमूल
भी कर सकती थी.
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Gottfried Wilhelm Leibniz द्वारा
विकसित इस मशीन में भंडारण क्षमता भी थी.
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Binary System भी इन्ही के द्वारा विकसित किया गया.
जिसे एक अंग्रेज ‘George Boole’ ने आधार बनाकर 1845 में एक नई
गणितीय शाखा “Boolean Algebra” का आविष्कार किया.
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आधुनिक कम्प्यूटर डाटा संसाधित करने और
तार्किक कार्यों के लिए इसी बाइनरी सिस्टम और बुलीन अल्जेब्रा पर ही निर्भर रहते
हैं.
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1804 में फ्रेंच के एक बुनकर ‘Joseph-Marie-Jacquard’
ने एक
हथकरघा बनाया. जिसका नाम ‘Jacquard Loom’ था.
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इसे पहला ‘सूचना-संसाधित’ डिवाइस माना
जाता हैं.
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और इस डिवाइस के आविष्कार ने साबित कर
दिया कि मशीनों को मशीनि कोड द्वारा संचालित किया जा सकता था.
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1820 में फ्रांस के ‘Thomas de Colmar’ ने “Arithmometer” नामक एक
नई गणना मशीन बनाई.
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जिसके द्वारा गणित के चार बुनियादी
कार्य जोडना, घटाना, गुणा, भाग किये
जा सकते थे.
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मगर द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इस
मशीन का विकास रुक गया.
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आधुनिक कम्प्यूटर के पितामह माननीय ‘Charles Babbage’ ने 1822 में
“बहुपदीय फलन” का सारणीकरण करने के लिए एक स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर का
आविष्कार किया.
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इस कैलकुलेटर का नाम “Difference Engine” था.
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यह भाप द्वारा चलती थी और इसका आकार
बहुत विशाल था.
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इसमे प्रोग्राम को स्टोर करने, गणना करने
तथा मुद्रित करने की क्षमता थी.
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इस इंजन के लगभग एक दशक बाद 1833 में “Analytical Engine” डिजाइन
किया.
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इस इंजन को ही आधुनिक कम्प्यूटर का
शुरुआती प्रारुप माना जाता हैं. इसलिए ही “चार्ल्स बैबेज” को कम्प्यूटर का जनक कहा
जाता हैं.
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इस मशीन मे वे सभी चीजे थी जो मॉडर्न
कम्प्यूटर में होती है.
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Analytical Engine में Mill (CPU), Store
(Memory), Reader and Printer (Input/Output) का काम कर रहे थे.
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अब आधुनिक कम्प्यूटर की नींव रखी जा
चुकी थी.